Tuesday, June 5, 2018

बचपन

वो बचपन रहा अब ना बचपन वही,
ना भोलापन ही रहा ना मासूमियत बची,
बदलते थे मौसम अब बदलता है इंसान भी |

 ना वो बचपन रहा न वो मौसम रहा ,
 बस यादें रही पर वो बातें नहीं ,
 यादें वही इंसान वही ,
लेकिन उस इंसान की फ़ितरत नई ,
है रुपया बड़ा अब भलाई नहीं,
आँखों में अब प्रेम त्याग और तहज़ीब नहीं,
है तो बस लालच भूख और हैवानियत भरी |

है जिस रफ़्तार से बदल रहा इंसान अभी ,
समय भी उस तरह बदलता नहीं ,
इंसान वही आईना वही ,
पर उस बदलते चेहरे को कोई पहचानता नहीं |



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