ये घटना दिसंबर २०११ की है | कड़ाके की ठण्ड पड़ रही थी और हर बार की तरह भारतीय रेल अपनी समय सारणी की धज्जियां उडा रही थी | मैं इस वृतांत का हिस्सा तो नहीं पर जब भी ये वाक्या याद आता है , मैं अपनी हंसी रोक नहीं पाता | मेरे बुआ की पुत्री की शादी थी और मेरे पिता जी माताजी चाचाजी और चाचीजी एक साथ यात्रा कर रहे थे | गाड़ी आपने निर्धारित समय से काफी विलम्भ से आयी थी और रात्रि के करीब १० बजे ये लोग ट्रेन पे सवार हो गए, खाना तो इन लोगों ने पहले ही खा लिया था सो सब सोने की तैयारी मैं लग गए | पिता जी एकदम उस्ताद थे पलक झापकते ही नींद के आग़ोश मैं समां गए | करीब ५-६ घंटे सोने के बाद इनका उतरने वाला स्टेशन आने ही वाला था सो सब सामान समेट कर आपस मे बात-चीत करने लगे | पिता जी ने यूं ही मजाक मे माताजी से कह दिया कल रात तुम इतने जोर से खार्राटे ले रही थी की मैं सही से सो भी नहीं पाया इस तरह भी कोई जानवरों की तरह सोता है | माताजी एकदम अवाक रह गयीं और बस इतना कहा की एक तो चोरी उस पे से सीना जोरी | मानो बस इसी बात की इंतज़ार मे एक सह यात्री बैठा था, भरा हुआ और अपने धर्य को रोका हुआ | वो अनजान यात्री हांथों को जोड़ता हुआ विनती करते हुए पिता जी से कहता है भाई साहब मैं आपके आने के पहले से अपनी बर्थ पर सो रहा था अचानक ही मेरी नींद खुल गई ऐसा प्रतीत हुआ की ट्रेन अपनी पटरियों से उतर गई है और बस मैं आपने जीवन के आखिरी छन को जी रहा हूँ | मैं उठा और पसीने पसीने हो गया पर नींद खुली तो सब कुछ सामान्य था और आप डरावने तरीके से खर्राटे ले रहे थे | मैं पिछले पांच घंटो से अपनी सीट पे बस आपके जागने मात्र का इन्तज़ार कर रहा हूं | एक विनती है कृपया आप यात्रा करते समय अपने सह यात्रियों का भी ध्यान रखें और मैं और मैं भविष्य इस बात का ध्यान रखूँगा की अगर आप मेरे आस पास की सीट पे यात्रा कर रहे हो तो मैं अपनी यात्रा अगले दिन के लिए टाल दूंगा | उस वाक्ये को पिता जी यूँ तो हमेशाही हंसी की तरह लेते परन्तु जब भी मैं उनके लिए टिकट लेता तो वो हमेशा ही स्लीपर क्लास की टिकट लेने पे ज़ोर देते क्यों की स्लीपर मे ट्रैन की आवाज़ इतनी होती की उनके खर्राटों की आवाज़ कहीं खो सी जाती |
पिताजी अपनी आलोचना भी बहुत सराहनीय तरीके से लेते और यथावत कोशिस करते की जहाँ संभव हो सुधार किया जा सके | बास खर्राटों पर ही उनका ज़ोर नहीं था | पिताजी की हर यात्रा वृतान्त रोचक ही है | उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक घटना अगले पोस्ट में |
पिताजी अपनी आलोचना भी बहुत सराहनीय तरीके से लेते और यथावत कोशिस करते की जहाँ संभव हो सुधार किया जा सके | बास खर्राटों पर ही उनका ज़ोर नहीं था | पिताजी की हर यात्रा वृतान्त रोचक ही है | उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक घटना अगले पोस्ट में |
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